आकाश आनंद की बसपा में घर-वापसी: आखिर क्यों देरी हुई माफी मांगने में? जानिए पूरी इनसाइड स्टोरी

आकाश आनंद की बसपा में घर-वापसी: आखिर क्यों देरी हुई माफी मांगने में? जानिए पूरी इनसाइड स्टोरी

लखनऊ – बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद की पार्टी में वापसी ने एक बार फिर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। लेकिन यह सिर्फ एक भावनात्मक वापसी नहीं, बल्कि इसके पीछे कई राजनीतिक समीकरण, पारिवारिक तनाव और चुनावी रणनीति छिपी हुई है।

क्यों हुई माफी मांगने में देरी?

सूत्रों के मुताबिक, आकाश आनंद को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाए जाने के बाद भी पारिवारिक स्तर पर संपर्क बना रहा। आकाश ने सार्वजनिक रूप से भले ही देर से माफी मांगी हो, लेकिन अंदरखाने बातचीत काफी पहले से चल रही थी। यह तय किया गया था कि आंबेडकर जयंती के अवसर को वापसी का प्रतीक बनाया जाएगा — ताकि दलित वर्ग के बीच सकारात्मक संदेश जाए।

मायावती की ‘सख्ती’ और शर्तें

मायावती ने साफ तौर पर यह शर्त रखी कि आकाश अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ से दूरी बनाएंगे, जिन्हें पार्टी ने 'अक्षम्य' करार दिया है। यही कारण है कि माफी के साथ-साथ आकाश को यह वचन भी देना पड़ा कि वह भविष्य में किसी बाहरी प्रभाव में नहीं आएंगे।

राजनीतिक मजबूरी या रणनीतिक वापसी?

आकाश आनंद की वापसी को विश्लेषक केवल एक पारिवारिक मेल-मिलाप नहीं मानते। दरअसल, दलित युवाओं में उनकी लोकप्रियता, और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे उभरते नेताओं के चलते बसपा कैडर में बेचैनी थी। मायावती को यह समझ आ गया कि आकाश को बाहर रखना पार्टी के लिए नुकसानदेह हो सकता है। लिहाज़ा वापसी की स्क्रिप्ट तैयार हुई।

संदेश साफ: बसपा फिर से मैदान में उतरने को तैयार

बसपा ने यह कदम 2024 लोकसभा और 2027 विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए उठाया है। आकाश की वापसी के साथ पार्टी अब एक युवावादी और सोशल इंजीनियरिंग आधारित मॉडल को फिर से आज़माना चाहती है।


📌 निष्कर्ष:
आकाश आनंद की वापसी सिर्फ एक "माफी" की कहानी नहीं, बल्कि इसके पीछे गहरी राजनीति, पारिवारिक संतुलन और रणनीतिक सोच छिपी है — जो आने वाले चुनावों में बसपा की दिशा तय कर सकती है।

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