पहलगाम का खून: नफरत की आग और भारत की हुंकार!
-स्वर्ग में शैतान का साया!
22 अप्रैल, 2025। सुबह के नौ बजे। कश्मीर का पहलगाम, जहाँ हिमालय की बर्फीली चोटियाँ और लिद्दर नदी की मधुर धुन पर्यटकों को बुलाती हैं। बाइसारन घास का मैदान, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहते हैं, उस दिन रौनक से भरा था। हवा में घोड़ों की टापों की आवाज़, बच्चों की हंसी, और कैमरों की क्लिक गूँज रही थी। शुभम द्विवेदी, कानपुर का 28 साल का इंजीनियर, अपनी माँ सरोज के साथ पहली बार कश्मीर आया था। “माँ, ऐसा लगता है स्वर्ग यहीं है,” उसने मुस्कुराते हुए कहा, अपने मोबाइल में बर्फ से ढके पहाड़ों की तस्वीर खींचते हुए। सरोज ने हँसकर जवाब दिया, “बेटा, ये पल हमेशा याद रहेंगे।” पास ही, दिल्ली से आए एक नवविवाहित जोड़े, रिया और अक्षय, एक-दूसरे को चिढ़ाते हुए सेल्फी ले रहे थे। गुजरात का एक स्कूल टूर ग्रुप, जिसमें 12 साल की प्रिया अपनी डायरी में पहलगाम की खूबसूरती बयान कर रही थी, मैदान में बिखरा हुआ था।
लेकिन इस सुकून को भेदने के लिए शैतान तैयार था। सैन्य वर्दी में छिपे 6 आतंकी, चेहरों पर मजहबी नफरत की ठंडी सायी लिए, मैदान में घुस आए। उनके पास M4 कार्बाइन, AK-47, और हेलमेट-माउंटेड कैमरे थे, जैसे वे इस खौफ को दुनिया को दिखाने आए हों। “नाम बताओ!” उनकी आवाज़ गूँजी, मानो यमराज ने हुक्म सुनाया हो।
शुभम और उसकी माँ ने एक-दूसरे को देखा। “शुभम द्विवेदी,” उसने जवाब दिया। आतंकी ने उससे कलमा पढ़ने को कहा। शुभम ने इनकार किया, उसकी आँखों में डर नहीं, गर्व था। अगले पल, गोलियों की बौछार ने हवा को चीर दिया। सरोज चीखीं, “शुभम!” लेकिन आतंकी रुके नहीं। रिया और अक्षय, जो पास ही बैठे थे, एक-दूसरे को बचाने की कोशिश में गोलियों का शिकार बन गए। प्रिया की डायरी खून से सन गई। 26 मासूम—बच्चे, महिलाएँ, बूढ़े—इस मजहबी क्रूरता में लहूलुहान होकर गिर पड़े। आतंकियों ने हर हत्या को कैमरे में कैद किया, जैसे नरसंहार उनका तमाशा हो।
-दिल्ली में गूँजी चीख!
पहलगाम की चीख दिल्ली तक पहुँची। प्रधानमंत्री मोदी घटना के समय सऊदी अरब में थे. घटना के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी भारत पहुंचे और कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की तत्काल बैठक बुलाई गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, और विदेश सचिव विक्रम मिस्री कमरे में थे। राजनाथ ने मेज़ पर मुक्का मारते हुए कहा, “आतंकी चाहे कहीं छिपें, पृथ्वी के छोर तक खोजे जाएँगे।”
जम्मू-कश्मीर पुलिस, CRPF, और भारतीय सेना हरकत में आई। पहलगाम में अस्थायी लॉकडाउन लगा। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की टीम बाइसारन पहुँची। फोरेंसिक सबूत इकट्ठे किए गए—हथियारों के खोल, आतंकियों के फटे कपड़े, और एक टूटा हुआ डिजिटल डिवाइस। खुफिया एजेंसियों ने रातों की नींद हराम कर दी। पता चला कि हमले में 6 आतंकी शामिल थे: तीन पाकिस्तानी—आसिफ फौजी, सुलेमान शाह, अबू तल्हा—और दो स्थानीय कश्मीरी—आदिल गुर्री और अहसन। मास्टरमाइंड था लश्कर-ए-तैयबा का सैफुल्लाह कसूरी, जो पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद से साजिश रच रहा था।
सबूतों ने सच्चाई उजागर की। आतंकियों के डिजिटल फुटप्रिंट कराची और मुजफ्फराबाद तक गए। पूँछ में पहले मिली एक तस्वीर में चार सशस्त्र लोग दिखे, जिनमें तीन की पहचान हमलावरों से मिली। पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) में 42 आतंकी ठिकाने सक्रिय थे, जहाँ 110-130 आतंकी घुसपैठ की फिराक में थे। यह सिर्फ हमला नहीं, भारत को तोड़ने की नाकाम साजिश थी।
-भारत का जवाब: पाँच तलवारें!
भारत ने चुप्पी तोड़ी। 23 अप्रैल को सरकार ने पाँच ऐतिहासिक कदम उठाए, जिन्होंने पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया:
सिन्धु जल समझौता रद्द: पाकिस्तान की खेती और पानी का आधार सिन्धु नदी अब भारत के नियंत्रण में।
अटारी-वाघा बॉर्डर बंद: व्यापार का रास्ता सील, लाखों व्यापारियों की आजीविका पर चोट।
SAARC वीजा खत्म: पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने का आदेश।
कूटनीतिक रिश्ते तोड़े: दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारी 55 से घटकर 30।
सैन्य संवाद खत्म: पाकिस्तानी सलाहकार निष्कासित, सैन्य रिश्ते ठप।
ये कदम तलवार की तरह थे, जो सीधे पाकिस्तान के दिल में चुभे। सिन्धु का पानी रुकने की खबर ने वहाँ हड़कंप मचा दिया। पाकिस्तान की 24% अर्थव्यवस्था खेती पर टिकी है, और सिन्धु उसकी रीढ़ है। अटारी बॉर्डर बंद होने से छोटे व्यापारी सड़कों पर उतर आए। लेकिन भारत का संदेश साफ था: “मजहबी आतंकवाद का समर्थन करोगे, तो अंजाम भुगतोगे।”
-पाकिस्तान की घबराहट!
इस्लामाबाद में खलबली मच गई। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने टीवी पर चीखकर कहा, “यह भारत की साजिश है। पहलगाम हमला उनका घरेलू मसला है।” लेकिन सबूतों ने उनकी बोलती बंद कर दी। आतंकियों के स्केच, और PoK के ठिकानों की खबर ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने 24 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई। सेना के तीनों प्रमुख और कैबिनेट मौजूद थे। आसिफ ने कहा, “हम जवाब देंगे।” लेकिन जवाब क्या? वैश्विक समुदाय भारत के साथ खड़ा था।
अमेरिका ने कहा, “हम भारत के साथ हैं।” रूस, यूरोपीय संघ, और बांग्लादेश ने भी हमले की निंदा की। पाकिस्तान अकेला पड़ गया। उसकी जनता में गुस्सा भड़क रहा था—पानी की कमी और व्यापार बंद होने की खबर ने सड़कों पर हंगामा शुरू कर दिया। बलूचिस्तान में विद्रोह और तेज़ हुआ। TTP जैसे आतंकी समूहों ने भी पाकिस्तान को निशाना बनाना शुरू कर दिया। पाकिस्तान डर रहा था—न सिर्फ भारत की ताकत से, बल्कि अपनी ही अस्थिरता से।
-मोदी की गर्जना!
24 अप्रैल, बिहार। एक विशाल रैली में लाखों लोग जमा थे। मंच पर खड़े नरेंद्र मोदी ने पहले पहलगाम के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। “एक मिनट मौन रखा,” उन्होंने कहा। लाखों सिर झुक गए। फिर उनकी आवाज़ गूँजी: “जो भारत की आत्मा पर हमला करेंगे, उन्हें उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी।” भीड़ तालियों से गूँज उठी। उन्होंने अंग्रेजी में दुनिया को संबोधित किया: “India will hunt down terrorists to the ends of the earth.” यह सिर्फ बयान नहीं, भारत की नई ताकत का ऐलान था।
मोदी ने कहा, “पहलगाम का खून बेकार नहीं जाएगा। हर शहीद का बदला लिया जाएगा।” भीड़ ने नारे लगाए: “भारत माता की जय!” यह पल हर हिंदुस्तानी के लिए गर्व का था। शुभम की माँ, जो अब कानपुर में अकेली बैठी थीं, टीवी पर यह देखकर रो पड़ीं। “मेरा बेटा मरा, लेकिन देश जाग गया,” उन्होंने फुसफुसाया।
-जंग अभी बाकी है!
पहलगाम में सन्नाटा है, लेकिन पीर पंजाल के जंगलों में जंग छिड़ी है। भारतीय सेना, CRPF, और पुलिस ड्रोन, हेलीकॉप्टर, और खोजी कुत्तों के साथ आतंकियों की तलाश में है। आतंकी शायद उन घने जंगलों में छिपे हैं, या PoK की ओर भागने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन भारत ने ठान लिया है—वे कहीं नहीं बचेंगे।
हर हिंदुस्तानी का दिल दुखता है। शुभम की माँ की आँखों में आंसू हैं। रिया और अक्षय की शादी की तस्वीरें अब सिर्फ यादें हैं। प्रिया की डायरी, जो खून से सनी पड़ी है, चीख-चीखकर कहती है: “हमें इंसाफ चाहिए।” लेकिन यह दर्द कमजोरी नहीं, ताकत बन रहा है। भारत का हर नागरिक अब सैनिक है।
-एक संकल्प!
पहलगाम का खून भारत की धरती पर एक जख्म है, लेकिन यह जख्म हमें एकजुट कर रहा है। हमारा संकल्प है—मजहबी नफरत की आग बुझनी चाहिए। आतंक का अंत होना चाहिए। शहीदों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा। आइए, शुभम, रिया, अक्षय, प्रिया, और उन 26 मासूमों को श्रद्धांजलि दें। उनकी याद में एक वादा करें—हम भारत को आतंक-मुक्त बनाएँगे।
संपादक की कलम से---